जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण की आरती, Janmashtami Shri Krishna Aarti

Shri Krishna Happy janmashtami: जन्माष्टमी का त्यौहार पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। क्योंकि जन्माष्टमी भगवान कृष्ण के जन्मदिन (Happy Birthday) का प्रतीक है और ऐसे पवित्र पर्व पर सभी उपवास भी रखते है कनुड़ा को पारणे जुला भी जुलाते है ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से जीवन के सभी दुखो का अंत होता हैं। और दुनिया की सभी सुख सुविधा अपने भक्तो को मिलती है।

जन्माष्टमी व्रत को एक ऐसा व्रत माना जाता है जो बाधाओं को दूर करता है। इस दिन लोग लड्डू गोपाल यानी भगवान कृष्ण के लिए प्रसाद चढ़ाने के लिए घर के अंदर तरह-तरह के व्यंजन तैयार करते हैं। जो लोग कृष्ण (Shri Krishna) को समर्पित होते हैं, वे भगवान कृष्ण की जयंती मनाने के बाद शाम 12 बजे पानी और भोजन पीते हैं।

विष्णु पुराण के अनुसार जन्माष्टमी का व्रत रोगमुक्त और सुखी जीवन लाने वाला माना जाता है। यदि आप जन्माष्टमी का व्रत कर रहे हैं तो यहां भगवान श्रीकृष्ण की आरती का अध्ययन कर सकते हैं।

Janmashtami Shri Krishna Aarti

किसी भी प्रकार की धार्मिक सेवा के लिए आरती एक अनिवार्य घटक है। ऐसा माना जाता है कि इसके बिना पूजा पूरी नहीं होती है। पूजा के समापन पर, पूजा के दौरान की गई किसी भी गलती को ठीक करने के लिए क्षमा याचना और आरती की प्रार्थना की जाती है। इसके बाद पूजा का पूरा लाभ लिया जाता है। जन्माष्टमी (janmashtami) के उत्सव के लिए भगवान कृष्ण की आरती के माध्यम से जाएं

Happy janmashtami August 18, 2022, के दिन है।

 

श्री कृष्ण की आरती

आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

गले में बैजंती माला,
बजावै मुरली मधुर बाला ।
श्रवण में कुण्डल झलकाला,
नंद के आनंद नंदलाला ।
गगन सम अंग कांति काली,
राधिका चमक रही आली ।
लतन में ठाढ़े बनमाली
भ्रमर सी अलक,
कस्तूरी तिलक,
चंद्र सी झलक,
ललित छवि श्यामा प्यारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की॥
कनकमय मोर मुकुट बिलसै,
देवता दरसन को तरसैं ।
गगन सों सुमन रासि बरसै ।
बजे मुरचंग,
मधुर मिरदंग,
ग्वालिन संग,
अतुल रति गोप कुमारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की॥

जहां ते प्रकट भई गंगा,
सकल मन हारिणि श्री गंगा ।
स्मरन ते होत मोह भंगा
बसी शिव सीस,
जटा के बीच,
हरै अघ कीच,
चरन छवि श्रीबनवारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की॥

चमकती उज्ज्वल तट रेनू,
बज रही वृंदावन बेनू ।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू
हंसत मृदु मंद,
चांदनी चंद,
कटत भव फंद,
टेर सुन दीन दुखारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की॥

Parvati Mata Ki Aarti

Radha Ji Ki Aarti

1 thought on “जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण की आरती, Janmashtami Shri Krishna Aarti”

  1. Nice post. I was checking constantly this blog and I’m inspired!

    Very helpful info particularly the remaining section 🙂 I deal
    with such information a lot. I used to be looking for this particular information for a long time.

    Thanks and good luck.

    Reply

Leave a Comment