हिन्दू धर्मशास्त्रों में साफ लिखा है की राधे माता का स्थान कृष्णा भगवान से पहले आता है। इशलिये जब भी हम कृष्णा बोलते है तो राधे कृष्णा बोलते है। अशल में राधे नाम ही कृष्ण है राधे कृष्णा दोनों एक ही है। इशलिये जो भी भक्त राधे माता की आरती पूजा करते है उनकी सारी मनोकामनाएं कृष्ण भगवान पूरी करते है।
राधा रानी की आरती सभी भक्तो को बड़े श्रद्धा से करनी चाहिए और आपकी जितनी भी मनो कामनाये है वो सारी मनो कामना भी पूरी होती है।
राधा रानी की आरती
आरती राधाजी की कीजै। टेक…
कृष्ण संग जो कर निवासा, कृष्ण करे जिन पर विश्वासा।
आरती वृषभानु लली की कीजै। आरती…
कृष्णचन्द्र की करी सहाई, मुंह में आनि रूप दिखाई।
उस शक्ति की आरती कीजै। आरती…
नंद पुत्र से प्रीति बढ़ाई, यमुना तट पर रास रचाई।
आरती रास रसाई की कीजै। आरती…
प्रेम राह जिनसे बतलाई, निर्गुण भक्ति नहीं अपनाई।
आरती राधाजी की कीजै। आरती…
दुनिया की जो रक्षा करती, भक्तजनों के दुख सब हरती।
आरती दु:ख हरणीजी की कीजै। आरती…
दुनिया की जो जननी कहावे, निज पुत्रों की धीर बंधावे।
आरती जगत माता की कीजै। आरती…
निज पुत्रों के काज संवारे, रनवीरा के कष्ट निवारे।