uttarayan festival : गुजरात में उत्तरायण दो दिन तक मनाई जाती है, जिसकी तारीख 14-15 जनवरी 2023 होने वाली है। उत्तर भारत में मकर संक्रांति को बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। संपूर्ण उत्तर भारत में मकर सक्रांति नामक त्योहार मनाया जाता है जो सूर्य के मकर राशि में पहुंचने पर मनाया जाता है |
और इसे गुजरात और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में उत्तरायण भी कहा जाता है। १४ जनवरी ओर १५ जनवरी को सब लोग पतग पतंग उड़ाते है। ओर के तरह के पकवान बनाकर कहते है। ओर एक दूसरे को बधाई देते है। पहले दिन पतंग उड़ाते है, और दूसरे दिन तिल, मूंगफली और गुड़ से बनी चिक्की आदि पकवान बनाकर इस त्योहार को सेलिब्रेट किया जाता है।
मकर संक्रांति क्या है ? uttarayan festival
त्योहारों के देश का हर पहलू बताता है कि भारत अलग है। भारत की परंपराओं और भारतीय त्योहारों की तरह ये भी विशिष्ट और विशेष हैं। साल की शुरुआत उत्सवों से होती है और सबसे बड़ी मकर संक्रांति हो सकती है। हिन्दू आस्था के अनुसार इस पर्व का बहुत महत्व है। सामाजिक और धार्मिक दृष्टि से यह पर्व हमारे जीवन में महत्वपूर्ण माना जाता है। तो आइए जानते हैं इस सेलिब्रेशन के बारे में।
सूर्य के मकर राशि में जाने को मकर-संक्रांति के नाम से जाना जाता है। सूर्य के उत्तरायण होने के साथ ही जब संक्रान्ति प्रारंभ होती है। ऐसी मान्यता है कि मकर-संक्रान्ति के दिन जब सूर्य उदय होता है तब सूर्य देवताओं का सम्मान करने के लिए उदय होता है और उनकी रात राक्षसों के लिए पड़ती है क्योंकि सूर्य अस्त होता है। उत्तरायण में यह लंबे दिनों का समय होता है, और रातें छोटी होती हैं।
गुजरात का अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव | uttarayan festival
अंतर्राष्ट्रीय पतंग महोत्सव का आयोजन मुख्य रूप से गुजरात में किया जाता है। इस आयोजन की तैयारी एक सप्ताह पहले से शुरू हो जाती है। इस उत्सव को देखने के लिए भारत और दुनिया भर से बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं।
गुजरात का पूरा आकाश जीवंत पतंगों (गुजरात में पतंग उत्सव) से ढका हुआ है। आप जहां भी जाते हैं, पतंगे और कोई अन्य कीड़े दिखाई नहीं देते। सभी लोग पतंग उड़ाकर अपने घरों की छतों पर चढ़ जाते हैं। इस प्रकार सभी के बीच एक प्रतियोगिता होती है कि उसकी पतंग सबसे कम कटती है और दूसरों की पतंगों की संख्या भी।
इसके अतिरिक्त इस उत्सव में अपनी पतंग को बिना काटे ऊपर तक ले जाने की प्रतियोगिता भी होती है। तभी कोई प्रकट होता है और उस पतंग के शिकंजे को पकड़कर काट देता है। स्वयं गुजरात के राज्यपाल और मुख्यमंत्री भी उत्सव में भाग लेते हैं।
समुदाय के अन्य सितारे भी उत्सव का हिस्सा हैं, जिनमें संगीतकार, गायक, राजनीति से जुड़े लोग आदि शामिल हैं। अक्सर घरों में प्रसाद के रूप में मिठाई, लड्डू आदि मनाए जाते हैं। भगवान और देवता को भोग लगाने के बाद भोजन परिवार के सदस्यों के बीच बांटा जाता है।
इस विशेष दिन में भोर में ब्राह्मणों को धन देने की भी प्रथा है और सूर्योदय के समय उन्हें जल भी मिलता है। इस तरह खुशियों और हंसी के त्योहार (उत्तरायण महोत्सव गुजरात राजस्थान में) का समापन हो जाता है।